केंद्रीय कैबिनेट ने "वन नेशन-वन इलेक्शन" बिल को दी मंजूरी, संसद में होगा पेश
केंद्र सरकार ने "एक देश-एक चुनाव" के प्रस्तावित विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी दे दी है। सूत्रों के अनुसार, यह बिल अगले सप्ताह संसद में पेश किया जा सकता है। सरकार का उद्देश्य इस पर आम सहमति बनाना है, इसलिए इसे संसद में चर्चा के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) के पास भेजा जाएगा, जहां सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की जाएगी।
सितंबर 2023 में, सरकार ने "वन नेशन-वन इलेक्शन" के लिए बनी उच्चस्तरीय कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी दी थी। इस कमेटी ने लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को चरणबद्ध तरीके से एक साथ कराने का प्रस्ताव दिया। कमेटी की सिफारिशों के तहत, पहला बिल संविधान के अनुच्छेद 82A में संशोधन करेगा, जिससे लोकसभा और राज्य विधानसभा के कार्यकाल एकसाथ समाप्त हो सकेंगे।
बिल के प्रमुख प्रावधान
इस विधेयक को लागू करने के लिए राज्यों की सहमति की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, यदि स्थानीय निकाय चुनावों को भी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ कराया जाता है, तो उसे कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों की विधानसभाओं से मंजूरी प्राप्त करनी होगी।
विधेयक के पास होने पर, 2029 से "वन नेशन-वन इलेक्शन" लागू होगा। इसके तहत, कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों के कार्यकाल को घटाया जा सकता है, जबकि जिन राज्यों में 2023 में चुनाव हुए हैं, उनके कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है।
रामनाथ कोविंद पैनल की सिफारिशें
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित पैनल ने इस प्रस्ताव पर 191 दिनों तक शोध और विशेषज्ञों से चर्चा की, और 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी।
पैनल ने निम्नलिखित सिफारिशें की हैं:
सभी राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को 2029 तक बढ़ाया जाए।
हंग असेंबली या नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर, बाकी कार्यकाल के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं।
पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं, और दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनाव।
चुनाव आयोग के द्वारा एक सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आईडी कार्ड तैयार किया जाएगा, जो लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए मान्य होगा।
चुनाव की सुरक्षा, उपकरणों और जनशक्ति के लिए पूर्व योजना बनाई जाएगी।
"वन नेशन-वन इलेक्शन" का इतिहास
भारत में 1952 से लेकर 1967 तक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले भंग हो गईं, जिससे यह परंपरा टूट गई। अब एक बार फिर से "वन नेशन-वन इलेक्शन" की ओर कदम बढ़ाया जा रहा है।सरकार का लक्ष्य इस विधेयक के जरिए चुनावी प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाना है, जिससे चुनावी खर्च में कमी आए और प्रशासनिक संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल हो सके।
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